चाय या कॉफी भाग--4
ट्रैफिक के चक्रव्यूह से निकलते आरती को साढ़े नौ बज गए।
सोसायटी में पहुंचकर पार्किंग में अपनी कार खड़ी करने के बाद लिफ्ट से अपने फ्लैट के दरवाजे पहुंच कर ही वह बुरी तरह से थक चुकी थी।
अपने इलेक्ट्रिक चाबी से डोर ओपन कर अपने ड्राइंग रूम में घुसी।
एक सरसरी निगाहें डालकर उसने सब ओर का जायजा लिया।
सबकुछ ठीक था।वैसे भी इतने पॉश इलाकों में इतनी अधिक सुरक्षा होती है कि परिंदे भी चूं करने से पहले डरते हैं।
इतने वीआईपी लोग रहते हैं तो सुरक्षा तो टाइट होगी ही।
रुही डिनर बना कर हॉटपॉट में रखकर चली गई थी।
कमरे में सन्नाटा छाया हुआ था।इसी सन्नाटे से आरती डर जाती थी कभी कभी।
उसने एसी ऑन किया और फ्रिज से ठंडे पानी का बोतल निकाला और सोफे में पसर गई।
दिन भर की भागमभाग और थकान के बाद कोई भी नहीं जिससे वह अपने मन की भड़ास निकाल पाए।
जितना वह दिनभर काम कर नहीं थकी थी,सुबोध के व्यंग्य ने थका दिया था।
भूख लगी थी लेकिन खाने का मन नहीं था।
बहुत देर तक वह खुद में भुनभुनाती रही ,अपना डिप्रेशन किसपर उतारती।
फिर थोड़ी देर बाद खुद को ही मनाकर उसने अनामिका को फोन लगाया।
,,हलो..,,
,,हलो अनु, फ्री हो..।,,
,,हाँ।,,
,,सुन सुबोध ने एक फैनटास्टिक फैशन परेड ऑरग्नाइज करने के लिए कहा है।
कुछ आइडिया है क्या.. तेरे पास मॉडल्स हैं.. लेकिन बजट में होने चाहिए.. वो स्टूपिड खर्च करेगा नहीं..!,,
,,रहने दे यार आरती, चिल करो ।मरने दे उसे।यह बता क्या कर रही हो?,,
,,पड़ी हूँ सोफे पर.. और क्या।,,
,,मैं तो आइसक्रीम खा रही हूँ माइ फेवरेट ब्लू बेरी एंड प्लफी क्रीम... रुक जा..मैं तेरे लिए भी ऑर्डर करती हूं।,,
अनामिका ने बात करते हुए ही आरती के लिए आइसक्रीम ऑर्डर कर दिया।
,,अच्छा देख आरती पंद्रह मिनट में डिलीवरी आ जाएगी.. मस्त रहा कर यार...।,,
,,ओके ओके बाबा चल मान लिया पर तू भूलियो मत मॉडल्स के अरेजमेंट नहीं तो कच्चा चबा जाएगा सुबोध।अच्छा चल थैंक्यू फॉर आइसक्रीम एंड गुड रात्रि।,,
अनामिका से बातें कर आरती थोड़ी रिफ्रेश हो गई।उसने अपने कपडे लिए और शावर के नीचे खड़ी हो गई।
ठंडी ठंडी फुहारों ने उसके भीतर के थकान को छूमंतर कर दिया।
अब वह बिल्कुल फ्रेश होकर माइक्रो वेव में भोजन गर्म कर खाने बैठ गई।
तबतक आइसक्रीम भी आ चुका था।
रुही के हाथों का खाने में जितना सुकून था उतना ही आइसक्रीम में भी।
अब आरती पूरी तरह से रिफ्रेश हो चुकी थी।
डिनर के बाद एक घंटे वाक करने के बाद वह अपने बिस्तर पर आई।
अपने मोबाइल और लैपटॉप पर सरसरी निगाहें डालकर कुछ ढूढ़ने लगी।
फेसबुक से लेकर तमाम साइट्स ब्यूटी पार्लर, योगा सेंटर, मेडिटेशन सेंटर,स्पा और कई आउटफिट्स शौप्स सभी के हैप्पी बर्थडे के रंगबिरंगे मैसेजेस भरे पड़े थे।
कई जगहों से इन्विटेशन भी आया हुआ था,बर्थडे सेलिब्रेट करने के लिए।
पहली बार आरती को अपने बर्थडे के विशेज अच्छी नहीं लगी।
,,और बस दो..साल..मैं फोर्टी की हो जाऊंगी..!,,
अब यह अकेलापन आरती को सालने लगा था।
पढ़ाई के बाद कैरियर और ग्लैमर की चमक में उसने खुद को ही नजरअंदाज कर दिया था..।
,,अब..कौन होगा खड़ा मेरे इंतजार में..!,,
आँखों में पुराने दिन मचलने लगे जब उसने फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई के लिए वह अपने घर से होस्टल आई हुई थी।
वहीं उसकी मुलाकात शमन से हुई थी।
कई बार आपस में प्रतिद्वंदिता के बावजूद शमन एक अच्छा लड़का था ।
शमन में जिम्मेदारी भरी हुई थी।आजकल के बिगड़ैल नवजवानों की तरह वह नहीं था।
पांच सालों की पढ़ाई के बाद दोनों की चाहत भी थी विवाह कर लेने का।
शमन एक बहुत ही रईस बाप का बेटा था।लेकिन परिवार अत्यंत ही परंपरा वादी।
घर में पिता की माता यानि शमन की दादी का ही पासा चलता था।
समाज कितना भी प्रगति कर ले अंतर्जातीय विवाद कभी भी थम नहीं सकता.. यही वजह बन गई दोनों के अलग राहों के लिए।
तब आरती ने भी शमन की बात को अपने इगो में ले लिया था और बड़े जोश से हट गई थी।
,,हुँह.. एक दिन मैं भी अपना साख बना कर ही रहूंगी.. देखना इस बड़े बाप के बेटे को अपने पैरों के नीचे नहीं ले आई तो...मेरा भी नाम नहीं..!,,
फिर कॉलेज के बाद दोनों के दो रास्ते..।दोनों ही एक दूसरे के रास्ते नहीं आए।आरती ने तो कड़ी मेहनत में कई साल लगा दिया था इस मुकाम हासिल करने में।
,,...शमन..., आरती ने खुद से बोला और फेसबुक में सर्च करने लगी।
आज तक दोनों एक दूसरे से अलग थे।थोड़ी बहुत सर्च करने के बाद शमन का प्रोफाइल सामने था।
अपनी पत्नी और बेटे के साथ प्रोफाइल पिक्चर पर मुस्कुराते हुए...।
आरती को न जाने क्या हुआ उसने फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजकर ,,हाय,, भी लिखकर भेज दिया।
वह उत्तर का इंतजार कर रही थी लेकिन तभी ड्राइंग रूम में लगा वाल क्लॉक ने पीहू पीहू..के गीत सुनाए..मतलब एक बज चुका था..।
अपने आप में मशरूफ रहने वाली आरती का मन घबराहट से भर गया था।उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और मोबाइल को चार्जिंग में लगाकर वापस बिस्तर पर आकर सोने की कोशिश करने लगी..।
उसे अपने परिवार की भी बहुत याद आ रही थी।
..कल बात करूंगी.. वैसे भी अब रह भी कौन गया है परिवार में.. दो भाई दोनों अपने परिवार में व्यस्त.. और मौसी जो रिश्ता निभा रही हैं आज तक..।
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सीमा..✍️🌹
©®
#लेखनी नॉन स्टॉप प्रतियोगिता
Kavita Jha
18-Sep-2022 08:58 AM
बहुत अच्छी लग रही है कहानी 👌👌
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Dr. Arpita Agrawal
17-Jun-2022 02:09 PM
क्या बात है 👌👌😊
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Gunjan Kamal
12-Jun-2022 10:44 AM
शानदार भाग
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